President Of Bharat

संविधान सभा की महत्वपूर्ण घटना

भारत के संविधान का नामकरण एक रोमांचक और महत्वपूर्ण घटना है, जो हमारे देश की गरिमा और विविधता को प्रकट करती है। 18 सितंबर 1949 को हुई इस बहस ने हमारे देश के नाम को ‘इंडिया’ या ‘भारत’ के रूप में परिभाषित करने का महत्वपूर्ण मामूला बना दिया।

संविधान सभा का गठन

संविधान सभा का गठन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की एक महत्वपूर्ण मांग थी, जिसके लिए ब्रिटिश सरकार ने 1946 में कैबिनेट मिशन की ओर से संविधान सभा की स्थापना की। संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसंबर 1946 को हुई थी, और इसके बाद 166 दिनों की मैराथन चर्चा के बाद, भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया।

नामकरण की बहस

देश के नाम को लेकर हुई बहस ने उसकी गरिमा को छूने का प्रयास किया। इस बहस के दौरान, संविधान सभा के सदस्यों ने विभिन्न नामों का सुझाव दिया, जैसे ‘इंडिया’, ‘भारत’, ‘हिंदुस्तान’, ‘हिंद’, ‘भारतभूमि’, और ‘भारतवर्ष’।

विभिन्न दृष्टिकोण

कुछ सदस्य नामकरण के समय ‘इंडिया’ नाम के पक्षधर थे, कुछ ‘भारत’ के पक्षधर थे, और कुछ अन्य विकल्पों का समर्थन करते थे। इस बहस में डॉ. आंबेडकर, केवी राव, मौलाना हसरत मोहानी, ब्रजेश्वर प्रसाद, सेठ गोविंद दास, बीएम गुप्ता, श्रीराम सहाय, कमलापति त्रिपाठी, हरगोविंद पंत, और अन्यों ने अपने-अपने दृष्टिकोण रखे।

संविधान सभा के आखिरी मोमेंट्स

संविधान सभा के आखिरी मोमेंट्स में हरगोविंद पंत और डॉ. बीआर अंबेडकर के बीच तीखी बहस हुई, लेकिन उस दिन देश के नाम को लेकर अंतिम निर्णय लिया गया। अंत में, अनुच्छेद-1 को बरकरार रखा गया, और ‘इंडिया दैट इज भारत’ हमारे देश के नाम का निर्धारण हुआ।

नामकरण का महत्व

यह नामकरण हमारे देश की आज़ादी, गरिमा, और भूमि के साथ जुड़ा हुआ है। ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों ही नाम अब हमारे देश की पहचान का हिस्सा हैं, और ये नाम दुनिया भर में हमारे देश को प्रतिष्ठित करते हैं।

By Yash