जन्माष्टमी का महत्व
भारतीय कृष्ण भक्ति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, वो है “जन्माष्टमी.” इस पर्व का आयोजन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में किया जाता है। यह पर्व भगवान के बाल रूप, लड्डू गोपाल की पूजा के रूप में मनाया जाता है और श्रीकृष्ण की बड़ी भविष्यवाणियों के साथ जुड़ा हुआ है।
जन्माष्टमी 2023 का आयोजन
इस वर्ष भद्रपद मास की अष्टमी तिथि दो दिन के रूप में मनाई जा रही है, जिससे जन्माष्टमी का महोत्सव भी दो दिन का होगा। इस पर्व को मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। यहां हम आपको इन स्थलों में जन्माष्टमी के पूरे आयोजन के बारे में जानकारी देंगे:
मथुरा, वृंदावन में जन्माष्टमी
मथुरा और वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां पर जन्माष्टमी का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पूजा का समय निशिता पूजा का मुहूर्त 8 सितंबर, 11:56 से 12:42 तक है। जन्माष्टमी पारण समय 8 सितंबर के बाद, सुबह 06:02 मिनट तक है।
इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी
इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पर भी जन्माष्टमी का महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी कार्यक्रम
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का एक प्रमुख मंदिर है और यहां पर भी जन्माष्टमी का महोत्सव बड़े आत्मा से मनाया जाता है। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दौरान कई प्रकार की आरतियाँ और भजन-कीर्तन कार्यक्रम होते हैं। यहां के पूजा समय निम्नलिखित हैं:
- श्रृंगार आरती: सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर
- राजभोग आरती: सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर
- कपाट बंद करने का समय: दोपहर 12 बजे
- कपाट खुलने का समय: शाम 5 बजकर 30 मिनट पर
- शयन भोग आरती: रात 9 बजकर 30 मिनट पर
- ठाकुर जी का अभिषेक: रात 12 बजे
- मंगला आरती: आधी रात में 1 बजकर 55 मिनट पर
जन्माष्टमी 2023 का महोत्सव
जन्माष्टमी 2023 का महोत्सव भगवान श्रीकृष्ण के अत्यंत ध्यान और भक्ति के साथ मनाए जाएगा। इन स्थलों में आपको भगवान के भक्तों के साथ एक अद्वितीय अनुभव का सामर्थ्य मिलेगा। जन्माष्टमी के इस महापर्व को आप आपके परिवार और दोस्तों के साथ मनाकर श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को और भी मजबूती से महसूस कर सकते हैं।