सूर्य मंदिर का इतिहास
कोणार्क सूर्य मंदिर, जो कि भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है, एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हादेव-प्रथम द्वारा किया गया था। इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य है भगवान सूर्य के रथ को प्रतिष्ठापित करना है, जिसमें सूर्य देव को 7 घोड़े खींचते हैं और उसके रथ के 12 पहिए होते हैं।
सूर्य चक्र: एक वैज्ञानिक रहस्य
कोणार्क सूर्य मंदिर का सबसे रोचक और आकर्षक हिस्सा है उसका “सूर्य चक्र”। यह चक्र मानव जीवन के विज्ञान को बताता है और सूर्य की ऊर्जा से जुड़े कई रहस्यों का पर्दाफाश करता है। इस चक्र में हर पहिए का व्यास 9.9 फीट है और हर पहिए में आठ मोटी और आठ पतली तीलियां होती हैं।
सूर्य चक्र का संकेत
इस सूर्य चक्र में कुल 8 मोटी और 8 पतली तीलियां हैं, और हर तीली के बीच में 30 बिंदु हैं, जो कि तीन मिनट के समय को दर्शाते हैं। यानी कुल में 90 मिनट का समय होता है। हर मोटी तीली के बीच में पतली तीली डेढ़ घंटे के समय का संकेत देती है, और मध्य में जो मोटी तीली है, वह रात के 12 बजे का समय दर्शाती है।
ज्योतिषशास्त्र का अनुसरण
कोणार्क के सूर्य मंदिर के 12 चक्र ज्योतिषशास्त्र की 12 राशियों के द्योतक होते हैं, जिससे इसे “धर्म चक्र” भी कहा जाता है। इन पहियों की मदद से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय जाना जा सकता है, और इसलिए इन्हें “सूर्य घड़ी” भी कहते हैं।
अन्य रोचक तथ्य
- कोणार्क सूर्य मंदिर के शीर्ष पर एक भारी चुंबक रखा गया है, और मंदिर के हर दो पत्थरों पर लोहे की प्लेटें लगी हैं, जिससे चुंबकीय प्रभाव के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखाई देती है।
- सूर्य की किरणों को भारतीय वेद शास्त्रों में उर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है, और इसलिए इसको रोगों के उपचार और इच्छा पूरी करने के लिए सर्वश्रेष्ठ साधन माना जाता है।
- भारतीय मुद्रा में भी सूर्य चक्र का चित्रण है, और यह चक्र 10 और 20 रुपये की भारतीय करेंसी में भी देखा जा सकता है।
- कोणार्क सूर्य मंदिर को 1984 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था, जिससे इसका महत्वपूर्ण स्थान धार्मिकता और वास्तुकला की दुनिया में मिला।
कोणार्क सूर्य मंदिर का सूर्य चक्र हमारे समृद्ध धार्मिक और वैज्ञानिक धरोहर का महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो हमें हमारे प्राचीन भारतीय संस्कृति की महानता और विविधता के प्रति गर्वित होने का अवसर देता है। इसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं और इसका अद्वितीय विज्ञानिक और धार्मिक महत्व मानते हैं।